Tuesday, August 11, 2015

AISA BHI HOTA HAI................

जिंदा गर्भवती गाय के पेट मे औजार मारकर
जिंदा बच्चा निकालकर उसे खौलते पानी मे
उबालकर उसका चमडा निकाला जाता है, जिसे
काँफ लेदर कहते है जो भारी कीमत मे
अमेरिका भेजा जाता है।इस कारोबार मे एक
भी मुस्लिम नही है। चमडा उद्योग मे 20 लाख
लोगो को रोजगार हासिल है। और उससे 2
बिलियन डाँलर की सालाना इंकम होती है।
इतना ही नही गाय की चरबी से
वनस्पति घी लज्जतदार और स्वादिष्ट बनता है।
गाय की हत्या करके साबुन
तथा वनस्पति घी बनाने के कारखाने सारे
ब्राह्मणो के ही है।इसलिए गो हत्या और
कत्तलखानो के विरोध मे देशभर जो आंदोलन
हो रहे है वो राजनीतिक स्टँट के अलावा और कुछ
नही है । असल मे गाय को माता कहना ही सबसे
बड़ा पाखंड है, ब्राह्मण शुरू से ही गो भक्षक रहे है।
ब्राह्मण गाय ही नही इंसानो से लेकर
सभी जानवरो की बलि चढ़ाकर उनका मांस
खाते थे। इसलिए नेपाल के ब्राह्मण आज
भी बड़ी शान से गाय की बलि चढ़ाते है।
काठमांडु के काली माता मंदिर मे पहले तो गाय
की पूजा की जाती है, उसके बाद गाय के मुँह पर
पानी के छिटे मारे जाते है और गाय के सिर
हीलाते ही तेज धार वाले छुरी से गाय की गर्दन
पर पुजारी ब्राह्मण इस तरह से वार करता है
की खून का फव्वारा काली माता के चरणो मे
गिरे। तड़पती गाय का खून अन्य

                    मुर्तियो को चढ़ाया जाता है। गर्दन
को पुजारी खुद लेकर जाता है और चमडा उतारकर
गोश्त देवी के भक्त प्रसाद के तौर पर घर लेकर जाते
है। ब्राह्मण ही नही गैर ब्राह्मण तथा गैर मुस्लिम
भी गाय का मांस बड़े चाव से खाते है । इसलिए
कई मुस्लिमो के संगठनो ने गोहत्या बंदी विधेयक
का समर्थन किया वही संसद मे विपक्ष के साथ
साथ राजग के कुछ घटक दलों के तीव्र विरोध
तथा संसद मे विधेयक की प्रतियाँ फाड देने के
चलते
वाजपेई सरकार ने गोहत्या विरोधी विधेयक पेश
ना करने का फैसला किया था।

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